जालना - श्री जिनकुशलसुरि दादावाड़ी गुरु मंदिर के प्रतिष्ठाचार्य युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसुरिश्वर म.सा. का दी. ६ जून २०२४ का प्रवचन कर्नाटक गजकेसरी प.पु. गणेशलालजी महाराज साहेब की तपोभूमि में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में संयुक्त रूप से कोटा संप्रदाय के प.पु. श्रुतमुनिजी मा. सा. के साथ सभामंडपम में सम्पन्न हुवा।
जहा श्रुतमुनिजी मा.सा. ने दुआओं की दौलत इस विषय को लेकर घर परिवार के बड़ो के पुण्य से प्राप्त होने वाले सुख, वैभव, सुरक्षा का विश्लेषण किया और उसी क्रम में आचार्य श्री द्वारा अंग्रेजी के चार शब्द NEAR, HEAR, DEAR और FEAR को हमेशा जीवन में स्थान देने की बात कही।
NEAR से उनका अर्थ था मनुष्य को प्रभु को पाने के लिए गुरु के सानिध्य में रहेना चाहिए क्योकि वहा बिना किसी भेद के कृपा आशीर्वाद सदा बरसता रहेता है और गुरु कृपा से मनुष्य प्रभुत्व को प्राप्त कर सकता है।
HEAR से उनका कहना था की हमको प्रभु, गुरु के वचनों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए जिससे हमारे कर्म सिमित हो जायेंगे, मुक्ति की प्राप्ति निश्चित हो जाएगी।
FEAR पर उनका कहना था की यदि मनुष्य के मन में, जीवन में कोई विकृति आ जाये तो उसे गुरु से डरना चाहिए इससे पाप पर हमारा अंकुश रहेता है। आज जीवन से डर ख़तम होते जा रहा इसीलिए जीवन की दुर्गति हो रही है।
DEAR से उनका अर्थ था प्रभु, गुरु से प्रेम, तीनो लोक में प्रेम करने कोई योग्य है तोह वह केवल प्रभु, धर्म और गुरु बाकी सब क्षणिक आनंद है। NEAR HEAR, FEAR होगा तभी DEAR की प्रप्ति होगी। अंत में उन्हने कहा जो भी अपनी श्रधा अर्पण नहीं कर सकता वह प्रभु से कुछ भी लेने का अधिकारी नहीं है।